21 October, 2008

शुक्रिया आपका,

न जाने कैसे अदा करे हम शुक्रिया आपका,

भुल गये थे हम पर न भुले आप, और
जो याद दिलायी औकात हमारी, शुक्रिया आपका,

दिन हि दिन मे खुली पलकोंसे ख्वाब देख्नने लगे थे हम
एक हि झटके से जगा दिया हमको आपने शुक्रिया आपका


मन हि मन आपको याद करकर रोते थे हम, पर
दिल तोडकर अश्कोंसे गिली मुस्कान दी, शुक्रिया आपका,

हम ही पागल थे जो करने लगे थे आपसे मोहब्बत,
पर बेरुखीसे दामन छुडा दिया, शुक्रिया आपका,

कुछ कहेने सुननेको जो तरसे हम सारी जिन्दगी,
एक ही ईन्कारसे खत्म कर दिया इन्तेझार, शुक्रिया आपका


किसने कहा कि मर जायेंगे, ये भी तो नहीं की जान दे दे देंगे,
पर ये बात भी है, तुम्हारे बिना जीना जीना नहीं होगा


३०-७-८९
नम्रता अमीन

4 comments:

बाल भवन जबलपुर said...

मन हि मन आपको याद करकर रोते थे हम, पर
दिल तोडकर अश्कोंसे गिली मुस्कान दी, शुक्रिया आपका,
thank's for nice line

gujarati asmita said...

great creation.....
keep it up.....Ashok

let's enjoy in gujarati...halo jalsa karva said...

क्या सावन क्या भादो ना मैं जानु,
दिलमे रहेता है आपकी यादोंका मौसम,

let's enjoy in gujarati...halo jalsa karva said...

કેમ કેમ છો ?